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Hamas In Pakistan: कश्मीर में दहशत के लिए हमास की मदद ले रहा आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद! पाकिस्तान में देखे गए कमांडर

हमास जो मुख्य तौर पर फिलिस्तीन के गाज़ा क्षेत्र में सक्रिय इस्लामी चरमपंथी संगठन है. अब दक्षिण एशिया में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रहा है.

Hamas In Pakistan: हाल ही में हमास के कमांडरों को पाकिस्तान के बहावलपुर स्थित जैश-ए-मोहम्मद के हेडक्वार्टर में देखा गया. बाकायदा, घोडों के साथ किसी राजसी काफिले की तरह उनका स्वागत किया गया. इस दौरान हमास का झंडा भी देखा गया. यह पिछले दो महीने में दूसरी बार है कि हमास के कमांडर पाकिस्तान पहुंचे हैं. इस साल 5 फरवरी को भी हमास का पॉलिटिकल चीफ पीओके के रावलकोट में कश्मीर दिवस के मौके पर जैश और लश्कर के जलसे में शामिल हुआ था. उस दौरान भी जैश और लश्कर ने हमास के झंडों के साथ रावलकोट में घोड़ों के साथ एक बाइक रैली निकाली थी. ठीक हमास के आतंकियों के अंदाज में ये रैली निकाली गई थी.

हमास जो मुख्य तौर पर फिलिस्तीन के गाजा क्षेत्र में सक्रिय इस्लामी चरमपंथी संगठन है, अब दक्षिण एशिया में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश में है. हाल ही हमास के कमांडरों  के स्वागत में घोड़ों का इस्तेमाल किया गया. वह स्पष्ट रूप से संदेश देता है कि यह केवल एक मुलाकात नहीं, बल्कि एक रणनीतिक साझेदारी है.

पाकिस्तान का दोहरा चेहरा
पाकिस्तान हमेशा से ही आतंकवाद के मुद्दे पर वैश्विक मंचों पर दोहरा रुख अपनाता आया है. एक ओर वह आतंक के खिलाफ लड़ाई की बात करता है, वहीं दूसरी ओर उसके जमीनी रवैये में ऐसे घटनाक्रम बार-बार सामने आते हैं, जो उसकी नीयत पर सवाल उठाते हैं. पिछले दो महीनों में यह दूसरी बार है जब हमास से जुड़े लोग पाकिस्तान पहुंचे हैं. इससे पहले 5 फरवरी को कश्मीर दिवस के मौके पर हमास का पॉलिटिकल चीफ, रावलकोट (POK) में लश्कर-ए-तैयबा और जैश के कार्यक्रम में भाग ले चुका है. उस दौरान भी “बाइक रैली” जैसी परेड निकाली गई थी, जिसमें हमास के झंडे और घोड़ों का इस्तेमाल किया गया.

हमास, जैश और लश्कर का संभावित गठबंधन
पाकिस्तान में तीन संगठनों का एक साथ दिखना, जिसमें हमास, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा शामिल है. इस बात का संकेत है कि अब आतंकवादियों का वैश्विक नेटवर्क और मजबूत होता जा रहा है. इस बीच जैश और लश्कर भारत को निशाना बनाते हैं, जो खासकर जम्मू-कश्मीर में अपने पैर फैलाना चाहते हैं. आतंकी संगठनों के बीच समन्वय बढ़ने से न केवल भारत के लिए खतरा बढ़ता है, बल्कि यह वैश्विक आतंकवाद के नेटवर्क को और मजबूत करता है. 

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